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BIG BREAKING NEWS INDIAN GLOBAL : नेपाल में अब विदेशी डिप्लोमैट्स सीधे राष्ट्रपति या नेताओं से नहीं मिल सकेंगे; चीन की एम्बेसेडर की हरकत से देश में नाराजगी थी

नेपाल में नियमों में परिवर्तन :-

 

नमस्कार मित्रों कैसे है आप लोग , उम्मीद करता हूँ अच्छे होंगे , स्वस्थ होंगे और अपने परिवार  के होंगे।  मित्रों नेपाल एक ऐसा मुल्क बन गया है जिस पर भरोसा कर पाना अब मुश्किल हो रहा है , वो आज कुछ कहते है और कल कुछ , नेपाल में जब से केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री बने है तब से वो चीन के इसरो में काम कर रहे हैं। अतः देखना है की अभी जो ने नियम के प्रयोग कर राह है वो कितना कारगर होगा।   

मित्रों , नेपाल का विदेश मंत्रालय ने विदेशी राजनयिकों के लिए नियमों में बदलाव का फैसला किया। यानी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ‘डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट’ बदलने जा रही है। इसके तहत अब कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट किसी भी नेता से सीधे मुलाकात नहीं कर सकेगा। इसके लिए दूसरे देशों की तरह एक तय प्रक्रिया या प्रॉपर डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल और चैनल होगा।

कुछ महीने से नेपाल में सियासी संकट चल रहा है। इस दौरान चीन की राजदूत ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कई नेताओं के अलावा राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से तक सीधे मुलाकात की थी। इसको लेकर नेपाली मीडिया और यहां तक कि आम लोगों ने सवाल उठाए थे।

बदलाव की जरूरत क्यों ?


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल की फॉरेन मिनिस्ट्री चाहती है कि डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। लिहाजा, नेपाल में भी वही नियम होने चाहिए जो दूसरे देशों में हैं। विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने माना है कि कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। 2016 में कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव का प्रस्ताव तैयार हुआ था। बाद में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

तैयारी भी शुरू :-


फॉरेन मिनिस्ट्री ने सात प्रांतों में अपने सात सेक्शन ऑफिसर भेजे हैं। इनकी तैनाती अब यही रहेगी। इन सेक्शन ऑफिसर की यह जिम्मेदारी होगी कि कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट राज्य के किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री से प्रोटोकॉल तोड़कर मुलाकात न कर पाए। इस नियम के दायरे में सभी राजनीतिक दल और नेता आएंगे। कवायद का मकसद है कि फॉरेन डिप्लोमैट्स और मिशन नियमों का सख्ती से पालन करें।

चीनी राजदूत की हरकत :-


अप्रैल और जुलाई की शुरुआत में चीन की एम्बेसेडर हो यांगकी ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से सीधे मुलाकात की। एनपीसीपी के कई नेताओं और प्रधानमंत्री ओली से भी उन्होंने प्रोटोकॉल के उलट मुलाकात की। इससे नेपाल में नाराजगी दिखी। भारत के एम्बेसेडर के बारे में भी यही कहा गया कि वे सीधे नेताओं से मुलाकात करते हैं। इस दौरान लद्दाख में चीन और भारत का तनाव चरम पर था। चीन की शह पर नेपाल ने भी भारत को आंखें दिखाने की कोशिश की थी।

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1. चीन की एम्बेसेडर यांगकी ने ही मई में ओली की कुर्सी बचाई थी, इस बार वे राष्ट्रपति और ओली के कट्‌टर विरोधी माधव कुमार से मिलीं
2. नेपाल के पीएमओ से लेकर आर्मी हेडक्वार्टर तक होउ यांगकी की पहुंच, भारत-नेपाल सीमा विवाद के पीछे भी इनका ही अहम रोल


  
English : 

Hello friends how are you guys, I hope you will be good, be healthy and be of your family. Friends, Nepal has become a country which is now difficult to trust, they say something today and tomorrow, they have been working in ISRO of China ever since KP Sharma Oli became Prime Minister in Nepal. Therefore, it has to be seen how effective it will be for anyone who is using the rule.

Friends, the Foreign Ministry of Nepal decided to change the rules for foreign diplomats. That is, the government of Prime Minister KP Sharma Oli is going to change the Diplomatic Code of Conduct. Under this, no foreign diplomat will be able to directly meet any leader. For this, like other countries, there will be a fixed procedure or proper diplomatic protocol and channel.

A political crisis has been going on in Nepal for some months. During this time, the Chinese Ambassador met President Bidya Devi Bhandari directly, besides several leaders of the ruling Nepal Communist Party (NCP). The Nepali media and even the common people raised questions about this.

Why need change ? 



According to media reports, the Foreign Ministry of Nepal wants the diplomatic protocol to be strictly followed. Therefore, Nepal should have the same rules as in other countries. Foreign Minister Pradeep Gyawali has admitted that changes are being made in the Code of Conduct. A proposal to change the Code of Conduct was prepared in 2016. Later it was put on hold.

Preparation also starts: -



The Foreign Ministry has sent its seven section officers to seven provinces. Their deployment will remain the same now. It will be the responsibility of these section officers that no foreign diplomat be able to meet any minister or chief minister of the state by breaking protocol. All political parties and leaders will come under the purview of this rule. The purpose of the exercise is to strictly follow foreign diplomats and mission rules.

Chinese Ambassador's Action: -



In April and early July, Chinese ambassador Ho Yangki met President Bidya Devi Bhandari directly. He also met several NPCP leaders and Prime Minister Oli against the protocol. This showed resentment in Nepal. The same thing was said about the Ambassador of India that he directly meets the leaders. During this time, the tension between China and India in Ladakh was at its peak. On the instigation of China, Nepal also tried to show India its eyes.

Bengali :

হ্যালো বন্ধুরা কেমন আছেন ছেলেরা, আশা করি আপনি ভাল থাকবেন, সুস্থ থাকবেন এবং আপনার পরিবারে থাকবেন। বন্ধুরা, নেপাল এমন একটি দেশে পরিণত হয়েছে যা এখন বিশ্বাস করা কঠিন, তারা আজ এবং কাল কিছু বলছে, কেপি শর্মা অলি নেপালে প্রধানমন্ত্রী হওয়ার পর থেকেই তারা চীনের ইস্রোতে কাজ করে চলেছে। সুতরাং, এটি নিয়মটি যে কেউ ব্যবহার করছেন তার পক্ষে এটি কতটা কার্যকর হবে তা দেখতে হবে।

বন্ধুরা, নেপালের পররাষ্ট্র মন্ত্রক বিদেশী কূটনীতিকদের নিয়ম পরিবর্তন করার সিদ্ধান্ত নিয়েছে। অর্থাত্ প্রধানমন্ত্রী কেপি শর্মা অলির সরকার কূটনৈতিক আচরণবিধি পরিবর্তন করতে চলেছে। এর আওতায় কোনও বিদেশি কূটনীতিক সরাসরি কোনও নেতার সাথে দেখা করতে পারবেন না। এর জন্য অন্যান্য দেশের মতো এখানেও একটি স্থির পদ্ধতি বা সঠিক কূটনৈতিক প্রোটোকল এবং চ্যানেল থাকবে।

নেপালে কয়েক মাস ধরে একটি রাজনৈতিক সঙ্কট চলছে। এই সময়ে, চীনা রাষ্ট্রদূত ক্ষমতাসীন নেপাল কমিউনিস্ট পার্টির (এনসিপি) একাধিক নেতা ছাড়াও রাষ্ট্রপতি বিদ্যা দেবী ভান্ডারীর সাথে সরাসরি সাক্ষাত করেছিলেন। নেপালি মিডিয়া এমনকি সাধারণ মানুষও এ নিয়ে প্রশ্ন তুলেছিল।


কেন দরকার পরিবর্তন ?



গণমাধ্যমের খবরে বলা হয়েছে, নেপালের পররাষ্ট্র মন্ত্রক চায় কূটনৈতিক প্রোটোকলটি কঠোরভাবে অনুসরণ করা হোক। সুতরাং, নেপালের অন্যান্য দেশের মতো একই নিয়ম থাকা উচিত। আচরণবিধিতে পরিবর্তন আনা হচ্ছে বলে স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী প্রদীপ জ্ঞাওয়ালি স্বীকার করেছেন। ২০১ Cond সালে আচরণবিধি পরিবর্তন করার প্রস্তাব তৈরি করা হয়েছিল। পরে তা আটকে দেওয়া হয়।

প্রস্তুতিও শুরু: -



পররাষ্ট্র মন্ত্রণালয় তার সাতটি বিভাগীয় কর্মকর্তা সাতটি প্রদেশে প্রেরণ করেছে। তাদের স্থাপনা এখন একই থাকবে। এই বিভাগীয় কর্মকর্তাদের দায়িত্ব হবে যে কোনও বিদেশী কূটনীতিক প্রোটোকল ভেঙে রাজ্যের কোনও মন্ত্রী বা মুখ্যমন্ত্রীর সাথে দেখা করতে সক্ষম হবেন না। সমস্ত রাজনৈতিক দল এবং নেতারা এই নিয়মের আওতায় আসবেন। মহড়ার উদ্দেশ্য হ'ল বিদেশী কূটনীতিক এবং মিশন বিধি কঠোরভাবে অনুসরণ করা।

চীনা রাষ্ট্রদূতের পদক্ষেপ: -


এপ্রিল এবং জুলাইয়ের গোড়ার দিকে, চীনা রাষ্ট্রদূত হো ইয়াংকি সরাসরি রাষ্ট্রপতি বিদ্যা দেবী ভান্ডারীর সাথে দেখা করেছিলেন। প্রোটোকলের বিপরীতে তিনি এনপিসিপির একাধিক নেতা ও প্রধানমন্ত্রী অলির সাথেও সাক্ষাত করেছিলেন। এটি নেপালে ক্ষোভ প্রকাশ করেছে। ভারতের রাষ্ট্রদূত সম্পর্কেও একই কথা বলা হয়েছিল যে তিনি সরাসরি নেতাদের সাথে সাক্ষাত করেন। এই সময়ে, লাদাখে চীন ও ভারতের মধ্যে উত্তেজনা চূড়ান্ত পর্যায়ে ছিল। চীনের উস্কানিতে নেপালও ভারতকে চোখ দেখানোর চেষ্টা করেছিল।



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