हर अमेरिकी को, फिर चाहे उसका राजनीतिक झुकाव या विचारधारा कोई भी हो, उसे मंगलवार को हुई प्रेसिडेंशियल बहस जरूर देखनी चाहिए। और आगे आने वाली दोनों डिबेट्स का हर मिनट गौर से देखना चाहिए।
ट्रम्प का बर्ताव राष्ट्रीय शर्म की बात
डिबेट स्टेज पर ट्रम्प ने जो कुछ किया, वो हर लिहाज से राष्ट्रीय शर्म की बात है। उन्होंने व्हाइट सुपरमेसिस्ट्स यानी श्वेतों को सर्वश्रेष्ठ बताने वाली विचारधारा की निंदा करना तो दूर, उन्हें गलत ठहराने से भी इनकार कर दिया। न ही ये भरोसा दिलाया कि वे चुनाव के नतीजों को स्वीकार करेंगे। हर अमेरिकी की यह जिम्मेदारी है कि वो इस बहस को देखे, सुने और इस पर विचार करे। किसी बात की जानकारी न होना, तर्क नहीं होता। कंजर्वेटिव्स या रिपब्लिकन अब बहुत ज्यादा देर तक इस सच्चाई को दरकिनार नहीं कर सकते कि ट्रम्प इस देश यानी अमेरिका के सिद्धांत और एकता को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
यह मुश्किल वक्त है
यह मुश्किल वक्त है। लेकिन, ऐसे कितने अमेरिकी हैं जो किसी विदेशी चुनाव में राष्ट्रपति को इस तरह का बर्ताव करते हुए देखना चाहेंगे। ऐसा राष्ट्रपति जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को धांधली और धोखा बताए। हथियारबंद लोगों और हिंसा का समर्थन करे। श्वेतों को सर्वश्रेष्ठ बताए और अपने राजनीतिक विरोधियों से हर मसले पर उलझे।
दुखदायी था इस बहस को देखना
हर वो अमेरिकी जो इस देश से प्रेम करता है, और जिसने यह बहस देखी। उसे बहुत दुख हुआ होगा। गलत खबरों के जरिए भ्रम फैलाया जा रहा है, साजिशें रची जा रही है। राजनीतिक परंपराओं को खत्म किया जा रहा है। यह कोशिश की जा रही है कि लोग सच और झूठ में फर्क न कर पाएं। महामारी में हजारों लोग मारे गए। व्यवस्थाएं खराब हो गईं। और ये सब वो सरकार कर रही है, जिसे अधिकांश अमेरिकियों की सरकार तो नहीं कहा जा सकता।
इस डिबेट में एक नेता ऐसा था जो देश के लोगों को साथ लाने की कोशिश कर रहा था। दूसरा नेता ऐसा था जिसका खुद पर ही काबू नहीं था। भाषा अजीब और खराब थी।
ट्रम्प भी सच जानते हैं
राष्ट्रपति पांच साल तक झूठ बोलते रहे, लोगों का अपमान करते रहे। उनको इस बात की भी चिंता नहीं कि आप उन्हें भ्रष्ट और खुद में खोया रहने वाला मानते हैं। वे अपने खिलाफ बोलने वाले हर शख्स को खराब बताते हैं। वे यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे सबसे ज्यादा साहसी हैं। वे कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिकी सही और गलत में फर्क ही न कर पाएं।
सच ये है कि ट्रम्प अब हताश हो चुके हैं। ये ट्रम्प भी जानते हैं और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स भी कि वे चुनाव हारने के रास्ते पर चल रहे हैं। वे ज्यादा वोटरों तक पहुंचने की कोशिश नहीं कर रहे। कोई और राष्ट्रपति होता तो शायद ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास पहुंचने की कोशिश करता।
वही पुराना रवैया
डिबेट के दौरान ट्रम्प ने वही सब किया, जो वे पिछले कई महीने से करते आ रहे हैं। ट्रम्प कहते हैं कि अगर वे नहीं जीते तो चुनाव गैरकानूनी हो जाएगा। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को यह धमकी सार्वजनिक रूप से दी जा रही है। डिबेट के दौरान मॉडरेटर क्रिस वॉलेस ने ट्रम्प से पूछा- क्या आप राइट विंग मिलिटेंट्स की निंदा करना चाहेंगे। खासतौर पर प्राउड बॉयज नाम के संगठन की। हिंसा के कई मामलों में उसका नाम आया है। राष्ट्रपति ने कहा कि खतरा वामपंथियों से है। कुछ लोगों ने ट्रम्प के इस कट्टर रवैये की तारीफ की।
लोकतंत्र मूल्यों का भी सम्मान नहीं
वॉलेस ने दोनों कैंडिडेट्स से पूछा- क्या वे चुनाव के नतीजे को मानेंगे। जो बाइडेन इससे सहमत थे। ट्रम्प ने इस मौके पर भी कहा कि धांधली हो सकती है। मेल इन बैलट्स पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जबकि, एफबीआई तक कह चुकी है कि मेल इन बैलट्स में धांधली नहीं हो सकती। ट्रम्प अपने समर्थकों से कह रहे हैं कि वे चुनाव को बारीकी से देखें। वे समर्थकों से कह रहे हैं कि बाइडेन के प्रभाव वाले क्षेत्रों पर नजर रखी जाए।
बाद में ट्रम्प ये भी कहते हैं कि चुनाव का फैसला सुप्रीम कोर्ट में होगा। लेकिन, राष्ट्रपति ये क्यों नहीं समझते कि चुनाव का फैसला सुप्रीम कोर्ट में नहीं होता। डिबेट में दोनों ही परफेक्ट नहीं रहे। कुछ लोग मांग कर रहे हैं कि बाइडेन को बाकी दो डिबेट में हिस्सा ही नहीं लेना चाहिए। लेकिन, उनके विरोधी तो यही चाहते हैं। बाइडेन को मजबूती से सामने आना चाहिए। क्योंकि, हर अमेरिकी यही चाहता है। लेकिन, हर अमेरिकी को वोट जरूर करना चाहिए। ट्रम्प जैसे तानाशाह को हराने के लिए। ताकि इस देश को एक बुरे दौर से बाहर निकाला जा सके।
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