न्यूयॉर्क (अमेरिका) से भास्कर के लिए मोहम्मद अली: दोपहर का वक्त है। आसमान में घने बादल छाए हैं। ऐसा लग रहा है कि कुछ ही देर में बारिश शुरू हो सकती है। अक्टूबर के आखिरी दिन न्यूयॉर्क के मौसम ने करवट लेना शुरू कर दिया है। तापमान 7 डिग्री सेल्सियस है। लेकिन मैनहट्टन के वोटिंग बूथ के बाहर वोट देने वालों की कतार लंबी होती जा रही है। यहां लोग अपने राष्ट्रपति, उच्च और निचले सदन के प्रतिनिधि को चुनने के लिए आए हैं।
न्यूयॉर्क स्टेट में पहली बार इलेक्शन-डे (3 नवंबर) से पहले वोटिंग हो रही है। हालांकि ‘जल्दी वोटिंग’ की परंपरा अमेरिका के कई राज्यों में पहले से रही है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से भीड़ को कम करने के लिए कई राज्यों ने 9 दिन पहले ही वोटिंग शुरू की है। 38 साल की वॉरडे खताब एक फिजियोथैरेपिस्ट के तौर पर न्यूयॉर्क की एक मशहूर यूनिवर्सिटी में काम करती हैं।
वोटिंग बूथ के बाहर दो घंटे से खड़ी हैं। वोट देने में लगने वाले वक्त को जानने के लिए उन्होंने फोन में टाइमर लगा रखा है। कहती हैं- ‘अगर दो घंटे और कतार में खड़ा होना पड़े तो खड़ी रहूंगी। लेकिन वोट दिए बगैर नहीं जाऊंगी।’ ट्रम्प के पोस्टर की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं- ‘यह फासिस्ट आदमी हमारा राष्ट्रपति बनने के लायक नहीं है। हम अपना विरोध रजिस्टर करेंगे।’
वॉरडे से बात करने से 10 मिनट पहले लाइन की शुरुआत से उसका अंत दिख रहा था। लेकिन अब यह बता पाना मुश्किल है कि लाइन कितनी दूर जा चुकी है। मास्क से लैस और फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ लोग खड़े हैं। कोई दीवार से टेक लगाकर अखबार पढ़ रहा है तो कोई अपने फोन में व्यस्त है। हर रंग, नस्ल, धर्म, लिंग के लोग हैं इस लंबी कतार में।
अश्वेत, गोरे, भारतीय, हिस्पैनिक, इटैलियन आदि। लोगों में बहुत उत्साह है, लेकिन इस उत्साह के पीछे ट्रम्प के खिलाफ भयानक गुस्सा दिख रहा है। सोनिया 25 साल की हैं और वो न्यूयॉर्क में पहली बार वोट दे रही हैं। इससे पहले वो कोलोराडो में वोट देती थीं। कहती हैं- ‘मुझे पता था कि वोट देने के लिए लंबी लाइन लग रही है। लेकिन बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि इतनी लंबी लाइन में लगना पड़ेगा।
करीब 2 घंटे 45 मिनट के बाद मेरा नंबर आएगा, वो भी जब मैं 10 बजे ही आ गई थी। मुझे कोरोना के खिलाफ वोट देना है। अमेरिकी सत्ता में जो वायरस घुस गया है उसे निकालने के लिए। इसके लिए 5 घंटे भी इंतजार करना पड़े तो कर सकती हूंं।’ सोनिया बात कर रही हैं और कतार लंबी होती जा रही है।
भीड़ और लंबी-लंबी लाइन को कम करने के लिए न्यूयॉर्क इलेक्शन कमीशन को बूथ बदलने पड़ रहे हैं और वोटिंग के घंटे भी बढ़ाने पड़ रहे हैं। इन कतारों को देख पता ही नहीं लग रहा है कि लोगों को कोरोना से डर भी लगता है या ये बोला जाए कि लोगों में ट्रम्प के खिलाफ गुस्सा उनके वायरस के डर पर हावी हो गया है।
वोट देने की लाइन में मुझे कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने 2016 में ट्रम्प को वोट किया था। जैसे कि 65 साल के चेरियन जॉन, जो मैक्सिको से न्यूयॉर्क 70 के दशक में आए थे। कहते हैं- ‘2016 में मैंने सोचा था कि किसी मर्द को अमेरिका का राष्ट्रपति बनना चाहिए। इसीलिए हिलेरी को नहीं चुना। लेकिन कोरोना ने साबित कर दिया कि ये शख्स लीडर बनने के लायक नहीं है।’
कुछ देर बाद बहुत गंभीर होकर जॉन कहते हैं कि कोरोना ने उनके सबसे अच्छे दोस्त को उनसे छीन लिया। जॉन का गुस्सा एक बार शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। कहते हैं- ‘पूरे देश के वैज्ञानिक और ट्रम्प के मंत्री तक बोल रहे थे कि वायरस आएगा। लेकिन इस आदमी को किसी की परवाह ही नहीं है।
ट्रम्प को जब कोरोना हुआ तो उनके पास दुनिया का सबसे अच्छा इलाज था। लेकिन सभी अमेरिकियों की किस्मत ट्रम्प जैसी नहीं है। इस एक शख्स की लापरवाही की वजह से दो लाख लोग मारे गए हैं। अकेले न्यूयॉर्क में ही 33 हजार जानें जा चुकी हैं।’ जॉन की तरह न्यूयॉर्क सिटी के 47 लाख वोटर इस बार अपने वोट डालने वाले हैं।
लोग वोट देने के लिए बहुत बड़े स्तर पर लोगों को सजग कर रहे हैं। यहां तक कि पब के वेटर भी शराब देने से पहले लोगों से पूछ रहे हैं कि आपने वोट डाला या नहीं। न्यूयॉर्क के 3 अलग-अलग पोलिंग बूथ की कतारों में खड़े दर्जनों लोगों से बात की। इनमें कोई दबी जुबान में भी ट्रम्प के पक्ष में बोलता नहीं दिख रहा है। इनका कहना है कि कोरोना काल में लंबी-लंबी कतारें ट्रम्प के खिलाफ गुस्से की तस्वीरें हैं।
1984 में रीगन के बाद न्यूयॉर्क ने किसी रिपब्लिकन को नहीं चुना, 2016 में ट्रम्प को 19% वोट मिले थे
रोनाल्ड रीगन के बाद 1984 से न्यूयॉर्क ने किसी रिपब्लिकन को नहीं चुना है। न्यूयॉर्क के पास 29 इलेक्टोरल मत है और तीसरा बड़ा इलेकटोरल कॉलेज स्टेट्स है। 2016 में ट्रम्प को न्यूयॉर्क से 19% वोट मिले थे। यहां के स्थानीय लोगों को कहना है कि कोरोना की वजह से ट्रम्प को वोट और भी कम मिलने वाले हैं।
2016 में न्यूयॉर्क में जितने लोगों ने वोट दिया था, उसके 62% लोग 9 दिनों में वोट कर चुके हैं। कुल मिलाकर अमेरिका में अब तक 8.9 करोड़ मत पड़ चुके हैं। सबसे ज्यादा कैलिफोर्निया में 91 लाख, टेक्सास में 90 लाख और फ्लोरिडा में 78 लाख मत पड़ चुके हैं।
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