नेपाल के बैंकों में इस वक्त भारत के करीब 7 करोड़ रुपए से अधिक रद्दी में पड़े हुए हैं। इसके अलावा नेपाली नागरिकों के पास भी काफी रकम ऐसे ही पड़ी है। भारत सरकार को इसकी पूरी जानकारी है। लेकिन, कमाल की बात है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इतनी बड़ी रकम को अब तक नेपाल से वापस नहीं लिया है।
नई दिल्ली में नेपाली दूतावास के प्रवक्ता हरि प्रसाद ओडारी ने इसकी पुष्टि की। उनके मुताबिक, नेपाली बैंकों और वहां के नागरिकों के पास पड़ी यह भारतीय मुद्रा भारत में नोटबंदी लागू होने से पहले की है। ये पुराने यानी 500 और 1000 के वे नोट हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को चलन से बाहर कर दिया था। भारत को ये रुपए वापस लेकर नए नोट देने थे। लेकिन दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद, अब तक इन नोटों को वापस लेने पर कोई सहमति नहीं बन सकी है।
इस समस्या का अब तक समाधान क्यों नहीं हुआ?
सूत्र बताते हैं कि नेपाल सरकार चाहती है कि उसके नागरिकों के पास मौजूद बंद हो चुकी भारतीय मुद्रा भी बदली जाए। लेकिन, नेपाल के पास अभी ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, जिससे वैध और अवैध मुद्रा की पहचान हो सके। इस वजह से आशंका है कि दोनों देशों के बीच खुली सीमा, व्यापार आदि की आड़ में बची हुई अवैध भारतीय मुद्रा नेपाल के रास्ते भारत आ सकती है।
नवंबर 2018 से ही लगातार मशक्कत जारी
नेपाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि अब तक दोनों देशों के बीच आधिकारिक स्तर पर चार दौर की बात हो चुकी है। इनमें भारतीय रिजर्व बैंक, नेपाल राष्ट्र बैंक और तकनीकी टीमों के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा, जब भारत में नोटबंदी हुई थी, तब नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने अपने PM नरेंद्र मोदी से बात की थी। उन्होंने मोदी से नेपाली नागरिकों की मदद का आग्रह किया था। 2018 में नेपाल के मौजूदा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत दौरे पर आए थे। तब उन्होंने भी इस मुद्दे का हल निकालने के लिए मोदी से बातचीत की थी।
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