Best Discount For You

केजी के बच्चे छह महीने ट्यूशन कर इंग्लिश का टेस्ट दे रहे; 2 साल में 5 लाख करोड़ का बाजार होगा

चीन हमेशा से अपने लोगों पर मैंडेरिन भाषा अपनाने के लिए दबाव डालता आया है। लेकिन, अब लोगों में अंग्रेजी का क्रेज जबर्दस्त तरीके से बढ़ रहा है। जुनून इतना कि माता-पिता केजी में पढ़ रहे बच्चों को भी छह महीने ट्यूशन करवाकर लैंग्वेज टेस्ट दिलवा रहे हैं, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्था से मिले सर्टिफिकेट से बच्चे अच्छे स्कूल में एडमिशन पा सकें। इसकी एक वजह, अंग्रेजी जानने से आगे चलकर ज्यादा अवसर मिलने की उम्मीद भी है।

चीन में ब्रिटिश संस्था कैंब्रिज इंग्लिश 2 साल से KET टेस्ट ले रही है। इसके एग्जाम सेंटर्स पर अभिभावकों की भीड़ उमड़ रही है। वे किसी भी तरह लैंग्वेज टेस्ट पास करवाना चाहते हैं। उन्हें डर है कि इस बार नंबर नहीं आया तो पता नहीं उनका बच्चा कब यह टेस्ट दे पाएगा। दरअसल, यह एग्जाम साल में कुछ ही बार होता है, इसलिए बमुश्किल रजिस्ट्रेशन हो पाता है। KET टेस्ट में बैठने के लिए सैकड़ों घंटों की तैयारी की जरूरत पड़ती है।

पैरेंट्स 5000 युआन (60 हजार रुपए) तक देकर कालाबाजारी के जरिए सीट सुरक्षित करवाते हैं या सैकड़ों किलोमीटर दूर जाने के लिए तैयार रहते हैं। इस बार कोरोना के चलते अप्रैल-मई में टेस्ट नहीं हुए। इसलिए अभी भीड़ उमड़ रही है। चीन में अंग्रेजी को लेकर बढ़ती दीवानगी को सामाजिक स्पर्धा बढ़ने का संकेत बताया जा रहा है, जहां परिजन 3 साल के छोटे बच्चे का भी रेज्यूमे तैयार करने के लिए तत्पर हैं।

कैंब्रिज ने इस टेस्ट को तीसरी या ऊपर की कक्षा के बच्चों के हिसाब से डिजाइन किया है, लेकिन परिजन दूसरी या छोटी कक्षा के बच्चों से भी यह परीक्षा दिलवा रहे हैं। दूसरी तरफ, इस ट्रेंड ने चीन में अंग्रेजी की ट्रेनिंग को मुनाफे का धंधा बना दिया है। इसके 2022 तक 5.55 लाख करोड़ रुपए (75 अरब डॉलर) तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।

चीन की एक इंग्लिश ट्रेनिंग कंपनी न्यू चैनल इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप के डायरेक्टर वु झिंग्यायु कहते हैं, ‘ट्रेनिंग की फीस प्रति घंटा 680 युआन (7600 रुपए) है। टेस्ट से पहले वीकली ट्रेनिंग सेशन (हर हफ्ते 2-3 घंटे) छह महीने तक चलते हैं।’

स्कूलों को लॉटरी से प्रवेश देने को कहा, पर पैरेंट्स नहीं मान रहे
चीनी सरकार ने पिछले साल निजी स्कूलों से कहा था कि वे लॉटरी से बच्चों को प्रवेश दें। लेकिन परिजनों पर असर नहीं पड़ा है। वे इस सर्टिफिकेट को अब भी महत्वपूर्ण मान रहे हैं। शंघाई की एक मां कैरोलिन झैंग कहती हैं, ‘बहुत दयनीय स्थिति है, लेकिन कई पैरेंट्स देखादेखी बच्चों को टेस्ट दिलवा रहे हैं।'



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
चीन में अंग्रेजी का जुनून इतना है कि माता-पिता केजी में पढ़ रहे बच्चों को भी लैंग्वेज टेस्ट दिलवा रहे हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3n8vq5V
https://ift.tt/3n8nnWE

Post a Comment

0 Comments