Dainik Bhaskar Hindi - bhaskarhindi.com, यरुशलम। इज़राइल की संसद ने रविवार को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के 12 साल के शासन को समाप्त करते हुए नई गठबंधन सरकार के पक्ष में वोट किया। नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी, नफ़ताली बेनेट को इजराइल का नया पीएम चुना गया है। निफ़ताली अल्ट्रानेशनलिस्ट पार्टी के हेड है। नेतन्याहू लिकुड पार्टी के प्रमुख बने रहेंगे और विपक्ष के नेता का पद संभालेंगे। नफ़ताली बेनेट ने संसद में 60-59 वोटों के बेहद कम मार्जिन से ये जीत हासिल की है।
नई सरकार बनाने के लिए एक छोटे से अरब गुट सहित आठ पार्टियों ने गठबंधन किया है। इस गठबंधन का एजेंडा फिलिस्तीनियों के साथ तनाव को कम करना और बिना किसी बड़ी पहल के अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना है। वोट के दौरान नेतन्याहू चुपचाप बैठे रहे। इसके स्वीकृत होने के बाद, वह कक्ष छोड़ने के लिए खड़े हुए। काले रंग का मेडिकल मास्क पहने निराश नेतन्याहू बाहर निकलने से पहले कुछ समय के लिए विपक्षी नेता की कुर्सी पर बैठे। नफ़ताली के गठबंधन को ये जीत बेहद कम मार्जिन से मिली है इसलिए गठबंधन की कोई भी पार्टी पीछे हटती है तो, सरकार अपना बहुमत खो देगी। जिससे नेतन्याहू को फिर से सत्ता में लौटने का मौका मिल जाएगा। नेतन्याहू संसद में सबसे बड़ी पार्टी के प्रमुख बने रहेंगे।
जब बेनेट ने मतदान से पहले संसद को संबोधित किया तो नेतन्याहू के समर्थकों ने उन्हें बार-बार बाधित किया। इस वजह से कई को कक्ष से बाहर ले जाया गया। बेनेट का ज्यादातर भाषण घरेलू मुद्दों पर था, लेकिन उन्होंने विश्व शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के अमेरिकी प्रयासों का विरोध किया। बेनेट ने कहा, इज़राइल ईरान को परमाणु हथियारों से लैस नहीं होने देगा। हालांकि बेनेट ने फिर भी राष्ट्रपति जो बिडेन और यू.एस. को इज़राइल के लिए दशकों के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
बेनेट के बाद नेतन्याहू ने अपने भाषण में सत्ता में वापसी की कसम खाई। उन्होंने कहा कि आने वाली सरकार ईरान पर कमजोर होगी और फिलिस्तीनियों को रियायतें देने की यू.एस. की मांगों को स्वीकार करेगी। उन्होंने कहा, अगर विपक्ष में होना हमारी नियति है, तो हम इसे अच्छे से निभाएंगे जब तक कि हम इस खतरनाक सरकार को गिरा नहीं देते और देश का नेतृत्व करने के लिए वापस नहीं आ जाते।
बता दें कि वोटिंग से पहले नेतन्याहू के समर्थकों ने गठबंधन को तोड़ने का दबाव बनाने के लिए संसद सदस्यों के घरों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी। गठबंधन के नेताओं के बीच हुए समझौते के मुताबिक नफ़ताली बेनेट शुरुआती दो वर्ष के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे। इसके बाद याइर लेपिड प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालेंगे। याइर लेपिड को इस गठबंधन का प्रमुख रणनीतिकार माना जा रहा है।
बता दें कि इजरायल में पिछले दो सालों में चार चुनाव हो चुके हैं। नेतन्याहू हर बार किसी न किसी तरह प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहे। पिछले 12 सालों में कभी ऐसा मौका नहीं आया जब नेतन्याहू की सत्ता इतनी कमजोर दिखी हो, जितनी वो आज है। बेनेट-लपीद गठबंधन की सरकार बनने के बाद अब नेतन्याहू को सजा का डर है। क्योंकि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के मुकदमे चल रहे हैं। इजराइल में सत्ता परिवर्तन ऐसे समय में हुआ है जब हाल में हमास के साथ उसकी जंग हुई थी।
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