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खेल दिवस पर खास: ध्यानचंद की डायरी से शायरी, मुलाहिजा फरमाएं!

शायरी के शौकीनों और मुल्क के तमाम शायरों को इस शेर को ईजाद करने वाले शायर का पता-ठिकाना उर्दू-हिंदी अदब की किताबों में ढूंढे नहीं मिलेगा। गूगल की तमाम बारीक छानबीन करने के बावजूद निराशा ही हाथ लगेगी।

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