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आजादी का अमृत महोत्सव : यहां हर जुबां पर 'वीर' की क्रांतिगाथा, गलियों और चौपाल पर होता है स्मृतियों का एहसास

नासिक से भगूर गांव तक वीर सावरकर की यादों का एक पूरा समंदर फैला है। नासिक से 12 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर बसे इस गांव में जाने के लिए हम ऑटो में बैठे। ऑटो चालक पूरे रास्ते अपने तात्या के किस्से सुनाता रहा।

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