कोरोनावायरस की रोकथाम के मुद्दे पर घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब चुनाव में राष्ट्रवाद का रंग ले आए हैं। शुक्रवार को नेशनल आर्काइव्स म्यूजियम में एक कार्यक्रम के दौरान ट्रम्प ने खुद को अमेरिकी विरासत का रक्षक बताया। उन्होंने कहा कि दोबारा सत्ता में आने के बाद स्कूलों में राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रवाद को सिलेबस में शामिल करेंगे। ट्रम्प ने इस दौरान वामपंथी विचारधारा पर हमला बोलते हुए कहा- देश के स्कूलों में अब पढ़ाई के दौरान अमेरिकी विचारधारा को शामिल किया जाएगा।
झूठी बातें फैलाई जा रही हैं
ट्रम्प ने कहा, "मैं उन बातों को अमेरिकी स्कूलों तक नहीं पहुंचने दूंगा जो अमेरिका को नस्लवादी समाज के तौर पर पेश करती हैं। एक कमीशन बनाउंगा जो राष्ट्रवादी शिक्षा को स्कूलों तक पहुंचाएगा। अमेरिका में बीते कुछ महीनों में नस्लीय हिंसा हुई। इस दौरान ऐतिहासिक स्थलों और मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन के संबंध हिंसा फैलाने वाले लोगों से हैं।"
राष्ट्र नायकों को नहीं भूल सकते
ट्रम्प ने कहा "हम नेशनल हीरोज को नहीं भूल सकते। अपने युवाओं को अमेरिका से प्यार करना सिखाएंगे।" मई में मिनेपोलिस में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों मौत हुई थी। इसके बाद भी ऐसी कुछ घटनाएं हुईं। फिर ब्लैक लाइव्स मैटर नाम से एक आंदोलन शुरू हुआ। इस दौरान देश के कई हिस्सों में हिंसा होती रही। इसके बाद से ट्रम्प डेमोक्रेटिक पार्टी को वामपंथी विचारधारा से प्रेरित बता रहे हैं। कॉन्स्टीट्यूशन डे यानी संविधान दिवस समारोह में ट्रम्प ने कहा था कि एक कट्टरपंथी आंदोलन हमारी विरासत को खत्म करने के लिए चलाया जा रहा है।
राष्ट्रपति का फोकस कहां?
इससे पहले भी ट्रम्प ने कई बार राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया और कई बार वामपंथी या मार्क्सवादी विचारधारा पर निशाना साधा। ट्रम्प ने पिछले दिनों कहा था, "हाल के दिनों में आपने जो हिंसा देखी वो दशकों से चली आ रही वामपंथी विचारधारा का नतीजा है, और ये हमारे स्कूलों में पढ़ाई जाती रही है। अब वक्त है कि हम स्कूलों में अपने देश के महान इतिहास के बारे में पढ़ाएं, युवाओं को इस बारे में जानकारी दें।"
ट्रम्प के लिए अब जीत का यही रास्ता
राइस यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के प्रोफेसर डगलस ब्रिंक्ले कहते हैं कि अमेरिकी स्कूलों में नागरिक अधिकारों और इतिहास के बारे में जो पढ़ाया जाता रहा है, ट्रम्प उसे बदलना चाहते हैं। वे कल्चरल वॉर के जरिए जीत का रास्ता तलाश रहे हैं। एक तरह से वे श्वेतों की वकालत कर रहे हैं। अश्वेत और हिस्पैनिक समुदाय के योगदान का ट्रम्प कई मौकों पर जिक्र तक नहीं करते। सच से ज्यादा किसी चीज का महत्व नहीं। अमेरिका का निर्माण लगातार हुई घटनाओं से हुआ। दास प्रथा खत्म की गई, नागरिकों को अधिकार दिए गए, कट्टरता को बंद किया गया। इन चीजों की वजह से ही आज हम गर्व महसूस करते हैं।
नया कमीशन बनाने की जरूरत नहीं
इतिहास के जानकार डॉ. फेरिस कहते हैं कि ट्रम्प ऐतिहासिक तथ्यों और इतिहास की जांच के लिए नया कमीशन बनाने की बात कर रहे हैं। लेकिन, इसका कोई खास महत्व नहीं है। यहां पहले से ही नेशनल आर्काइव्स जैसे संस्थान हैं। इनको बहुत कम सरकारी मदद मिलती है। इसके बावजूद ये अच्छा काम कर रहे हैं।
गौर करने वाली बात ये है कि ट्रम्प नेशनल हीरोज के सम्मान की बात तो करते हैं, लेकिन ऐसे समारोहों में हिस्सा नहीं लेते। पिछले दिनों वॉशिंगटन में पूर्व राष्ट्रपति आइजनहॉवर के स्मारक पर विशेष कार्यक्रम था। ट्रम्प यहां नहीं आए। जब कार्यक्रम हो रहा था तब वे विस्कॉन्सिन में चुनावी रैली कर रहे थे।
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